मासूम चेहरे
मासूम चेहरे मासूम चेहरे जब हम खुश होते हैं तो चेहरे पर एक मनोहर मुस्कान आ जाती है जो चेहरे को मासूम बना देती है उस मासूम चेहरे को देखने वाला हर चेहरा मासूम बन जाता है ... कुछ पल के लिए ही सही खुशी का भाव सर्वोपरि हो जाता है उदासी उदास होने लगती है गुस्से को गुस्सा आने लगता है हँसती है केवल हमारी हँसी खुशी की खुशबू हर ओर फैल जाती है हमें कुछ भी याद नहीं रहता सिवाय उस हँसी के तो क्यों न हम हँसें और हँसने दें बनने दें अपने चेहरे को मासूम बना दें अपने चेहरे से मासूम चेहरों की लडियाँ क्योंकि मुसकुराता हुआ चेहरा हर परिस्थिति का स्वागत मुस्कुराते हुए करता है... This poem is also available on my u-tube channel : Click here