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Showing posts from March, 2019

मत दिखाओ दुनिया को टूट चुके हो तुम...

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मत दिखाओ दुनिया को कि टूट चुके हो तुम...  मत दिखाओ दुनिया को  कि टूट चुके हो तुम  खुद से इस कदर  रूठ चुके हो तुम...  क्या लगता है तुम्हें?  दुनिया जोड़ सकती है?  नहीं!  तुम्हारे समेटे हुए टुकडों को  फिर से तोड़ सकती है  मत दिखाओ दुनिया को  कि हार चुके हो तुम  निराशा का आँचल  स्वीकार चुके हो तुम ... क्या लगता है तुम्हें?  यह जीत दिला सकती है?  नहीं! तुम्हारे हारे दिल को  जहर पिला सकती है  मत दिखाओ दुनिया को  कि रो रहे हो तुम  हर पल उम्मीद को  खो रहे हो तुम  क्या लगता है तुम्हें?  दुनिया दर्द बाँट लेगी?  नहीं!  तुम्हारे दर्द से भी अपना  मतलब छाँट लेगी  अब सवाल है ~ कि क्या करोगे? किससे कहोगे तुम?  इस दर्द को कब तक सहोगे तुम?  जवाब है ~ एक पल जरा ठहर कर  अपनी ओर ही देखो तुम  कुछ नहीं खोया तुमने  वही हो तुम, वही हो तुम!  This poem is also available on my u-tube channel : click here

भैंस हमारी माता है?

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भैंस हमारी माता है?  भैंस हमारी माता है?  कक्षा में गुरू जी पढा रहे थे  शिष्यों को निबंध लेखन सिखा रहे थे  विषय "गऊ माता ",पहला वाक्य ~ "गाय हमारी माता है " भोले बच्चे ने कहा ~ "गुरु जी! प्रश्न बड़ा है  मेरे सामने खड़ा है  माता उसे कहते हैं  जिसका दूध पीते हैं  तो क्या भैंस हमारी माता है? " गुरु जी बोले ~ "बेटा, ऐसा नहीं कहते  सदियों से गायों को हमने अपनी माँ माना है " शिष्य बोला ~ "माँ होती तो उन्हें देखकर  हम यूं कतराते होते आते ही दहलीज़ पर लाठी से भगाते होते झूठ बोलते हो गुरु जी  मैने सब कुछ देखा है  गाय माता, भैंस नहीं ये तो सरासर धोखा है" गुरु जी ने सोचा ~ "हम जो उन्हें  पढाते हैं  वो सिखा भी पाते हैं?  क्या हम उन्हें रिश्तों का यही अर्थ समझाते हैं?" उस बालक के सवाल ने दर्पण हमें दिखा दिया उस दिन उसने मानो गुरु जी को कुछ सिखा दिया... This poem is also available on my u-tube channel : Click here

अपना देश

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अपना देश  अपना देश  रहते हैं हम जिस देश में  वह देश बड़ा भव्य है अपना भी कुछ जीवन में  उसके प्रति कर्त्तव्य है  अपने देश की मिट्टी  हमारे लिए स्वर्ग है अपने देश के वीरों पर  हमें बहुत गर्व है  वतन पर जो मर-मिटे  हम उन्हें स्मरण करें  उन देशभक्तों को आज हम नमन करें  भारत के इतिहास का  बहुत बड़ा ये हिस्सा आओ तुम्हें सुनाएँ हम आजादी का किस्सा गुलामी की थी दासता  बड़ा कठिन था रास्ता धूल बन चुकी थी तब तक  हर किसी की आस्था  तब हर हिन्दुस्तानी जागा विद्रोह में हर कोई भागा... हर भारतवासी में जोश था,जुनून था उन देशभक्तों में वीरता का खून था  प्यारे वतन के लिए  दे दी अपनी जान मर कर भी न जाने दी  भारत माँ की आन  उन्हीं के कारण है  भारत की ये शान  इसलिए हैं करते हम  उन वीरों का गुणगान  देश के दीवानों  आजादी के मतवालों  करते बारंबार नमन हम  देश के रखवालों  ए देश के शहीदों!  तुम्हें हम भूल नहीं पाएंगे  जीवन में हर पल हम  तुमसे शिक्षा पाएंगे... 

दोस्ती

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दोस्ती  दोस्ती  जो तोड़े न टूटे, वो बंधन है दोस्ती  जो भर दे हर घाव, वो मरहम है दोस्ती  ढूंढे खुशियों के तराने, दोस्त के लिए  ऐसा ही तो एक, मकसद है दोस्ती...  जो हर नाता, पल में तोड़ जाए मुसीबतों को देख,मुँह मोड़ जाए  जब चाहिए हो साथ,तन्हा छोड़ जाए  ऐसी खुदगर्ज भावना, नहीं होती दोस्ती  जो सुख और दुःख में साथ निभाए ऐसे कुछ आंसू-सी, होती है दोस्ती  दोस्त की कमियाँ, नहीं देखती दोस्ती  न ही कोई मतलब, देखती है दोस्ती  जो लाँघ हर खाई, दिलों को मिलाए  ऐसा ही एक सेतू, होती है दोस्ती  नहीं कि बनकर जो, उड़ जाए धूल  नहीं कि बनकर जो, चुप जाए सूल  नहीं कि होकर जुदा, जिसे जाए भूल  क्षणभंगुर के लिए, नहीं होती दोस्ती  जो मुरझाकर भी, जीवन को महकाए  ऐसा ही एक फूल-सी, होती है दोस्ती  जीने की मंजिल और सहारा है दोस्ती  डूबते सागर में, जीवन की शिकारा है दोस्ती  जो रोशन करे, दोस्त के जीवन में बहारें  ऐसा ही जगमगाता, सितारा है दोस्ती...  This poem is also available on u-tube : Click here

अर्चना

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अर्चना  अर्चना अर्चना एक अनुभूति है एक भाव की जागृति है एक उत्कृष्ट भाव~  जो परम सत्य के समीप है कि अनेक रूपों वाली वो शक्ति एक है हृदय से की जाने वाली भक्ति एक है जल, वायु,धरा,गगन वो प्रकृति एक है रीति-नीति, भाषा, सभ्यता वो संस्कृति एक है जिसे सब अनुभव करते हैं वो संवेदना एक है पशु-पक्षी और मानव की वेदना एक है मंदिर-मस्जिद, चर्च-गुरुद्वारा मैं, तुम और वो एक हैं हम सब उसी एक के बस रूप अनेक हैं...

हीरो का साथ

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हीरो का साथ  हीरो का साथ  नई फिल्म रिलीज हुई  हॉल दर्शकों से भरा हुआ हीरो काफी स्टाइलिश है शराब का शौकीन  आज ही उसे कामयाबी मिली तो पार्टी तो बनती है हीरो गाता है ~ "आज फिर पीने की तमन्ना है " दर्शकों के चेहरे पर संतुष्टि है  हीरो को खुद में उतार चुके हैं  लेकिन जीवन है  दुःख भी आएंगे  हीरो बर्बाद हो चुका है  फिर गाता है ~ "मुझे पीने का शौक नहीं...  पीता हूँ गम भुलाने को " दर्शक गमगीन हैं... मगर हीरो के साथ  हीरो शराब की शरण में है  जो बचा था वो भी गया  दर्शक अब भी संतुष्ट  हीरो संघर्ष क्यों करे?  हार मानना स्वाभाविक है  मुश्किलों के सामने घुटने टेकने ही पड़ते हैं  मगर हीरो समझदार निकला उसने शराब छोड़ दी ... इस बार दर्शक निराश हैं एकमात्र सहारा छोड़ना  कोई समझादारी है?  पूरी फिल्म में साथ दिया  मगर अब और नहीं...  क्यों?  क्योंकि नशे की लत छोड़ना आसान नहीं  मुश्किल में कोई किसी के साथ नहीं  तो ऐसे हीरो को खुद में उतारा ही क्यों? 

हमारे वीर जवान

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हमारे वीर जवान  हमारे वीर जवान  आजादी के मतवाले थे भारत माँ के रखवाले थे वे युवक हिम्मत वाले थे खुद को भी किया बलिदान  वे लोग बड़े बलिदानी थे  सहकर भी लाखों दुःख  हमें दे गए कितने सुख हर दुश्मन को हरा दिया वे वीर जवान हमारे थे   करके खुद को भी बलिदान न जाने दी माँ की शान चरणों में जो हुए निहाल वे मातृ भक्त हमारे थे   अपनी सारी यादें वे हमारे दिल में छोड़ गए साहस-बलिदान का पाठ हमारे लिए भी छोड़ गए...

ऐसे थे मेरे ताऊ जी

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ताऊ जी नहीं चाहते थे कि उनके जाने के बाद कोई रोए |हम भी उनकी इस इच्छा का मान रखना चाहते हैं ,माना कि यह आसान तो नहीं मगर असंभव भी तो नहीं |यही जीवन है, समय की गति है जो कभी नहीं रुकती |एक इंसान जो इस दुनिया में जन्म लेता है, उसका संसार से विदा कहना भी तय है मगर प्रत्येक व्यक्ति अपने व्यवहार से, अपने कर्म से अपनी एक जगह बना लेता है, वो भी लोगों के दिलों में |आज लोग उनके बारे में जो बातें कर रहे हैं, उन्हें याद कर रहे हैं, वह सब उनकी कमाई है ,नहीं तो आज के व्यस्त जीवन में जहाँ लोग खुद को भूल जाते हैं, वहाँ किसी की यादों में जगह बना पाना भी किसी आश्चर्य से कम तो नहीं | एक बार हमें प्रकृति के फैसले से दुःख अवश्य होता है क्योंकि हम इतने समझदार नहीं होते कि ईश्वर के हर निर्णय को समझ पाएँ |ताऊ जी को दर्द से बहुत डर लगता था |वे चाहते थे कि उनके प्राण शांति से चले जाएं, यही तो हुआ|मुझे इस बात का दुःख था कि मैं ताऊ जी से अंतिम समय में मिल नहीं पाई तथा उनका कोई सपना पूरा नहीं कर पाई मगर ताऊ जी का आशीर्वाद, उनके द्वारा दिखाया गया सद्मार्ग, उनकी सीख सदैव मेरे साथ हैं|मैं उनका हर सपना जरूर पूरा क

मेरे ताऊ जी ~2

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आखिर हम एक घण्टे के बाद गाँव पहुँचे |घर के सामने बहुत भीड़ थी|जैसे ही अंदर पहुँचे तो रोने की तेज -तेज आवाजें सुनाई दी|बहुत ही करुण दृश्य था वह! इससे पहले मैने ऐसा कभी नहीं देखा था |किसी को भी होश नहीं था |सब गम में इस कदर डूबे हुए थे |वहाँ तक मैने किसी तरह खुद को रोक रखा था मगर वहाँ जाकर नहीं रोक पाई और मैं भी उस गमगीन दुनिया का एक हिस्सा बन गई | मेरे ताऊ जी ~2 किसी अपने को खोने का दर्द क्या होता है, किसी इंसान का मोल क्या होता है, लगाव क्या होता है ;ऐसे बहुत से सवालों के जवाब दे रहा था वो दृश्य |सबकी आँखों में आँसू थे मगर फिर भी सब एक-दूसरे को समझाने और चुप कराने का प्रयास कर रहे थे |समझाते भी क्या? सब जानते थे कि वे लाचार हैं ,अब कुछ नहीं हो सकता, यही शाश्वत सत्य है मगर क्या यह जान लेने से वो पीड़ा कम हो सकती थी? बिल्कुल नहीं | माँ (ताई जी) का रो-रोकर बुरा हाल था|माँ बेहद कोमल हृदय हैं |उनसे किसी और का दुःख भी नहीं देखा जाता था, जब भी ऐसे माहौल में जाती थी तो बेहोश हो जाया करती थी |यहाँ उनकी क्या दशा होनी थी, यह अनुमान लगाना किसी के लिए मुश्किल नहीं था |माँ एक भारतीय पतिव्रत

मेरे ताऊ जी ~1

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17 मार्च, 2019 मेरे ताऊ जी :श्री जगदीश चन्द्र नरवाल  दोपहर का समय था, मैं सीढियों में बैठकर पढ़ रही थी |सभी मेरे आस-पास ही थे |थोड़ी देर पहले ही पता चला था कि मेरे ताऊ जी, जगदीश चन्द्र नरवाल को खराब स्वास्थ्य के कारण अस्पताल में दाखिल कराया गया है |सब आश्चर्य में थे कि अचानक क्या हुआ |दरअसल ताऊ जी को पिछले साल से कैंसर था |इलाज भी लगभग हो चुका था,सेहत में सुधार भी था, मगर बहुत जल्दी तबीयत दोबारा खराब होने लगी |पापा थोड़ी देर बाद अस्पताल जाने वाले थे |तय हुआ कि रात को ताऊ जी की देखभाल के लिए रीना जाएगी, शायद इससे उनकी सेहत में जल्दी सुधार होगा | इसका कारण यह था कि मैं ताऊ जी की बहुत लाडली थी |मुझे याद है ;लगभग 9 साल पहले की बात है |ताऊ जी को रात को दिल का दौरा पड़ा था |उन्हें लगा कि यह उनका अंतिम समय था |उन्हें अस्पताल ले जाने लगे तो उससे पहले उन्होंने कहा कि वो रीना से मिलना चाहते हैं |मैं उनके पास गई तो उनके सीने में बहुत तेज दर्द था|मुझे देखकर वे तेज -तेज रोने लगे और मुझे समझाया कि मैं मम्मी-पापा का ध्यान रखूँ और खूब मन लगाकर पढाई करूँ|मेरी आँखों में भी आँसू आ गए और मैन

चलने दो जैसे भी...

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चलने दो जैसे भी...  चलने दो जैसे भी...  चलने दो जैसे भी हो  चले जिंदगी जब तक  शुक्र इस बात का मनाओ  कि अभी ये चल रही है...  बढने दो जैसे भी हो  बढे कदम जब तक  शुक्र इस बात का मनाओ  कि अभी ये बढ़ रहे हैं...  बहने दो जैसे भी हो  बहें आँसू जब तक  शुक्र इस बात का मनाओ  कि अभी ये बह रहे हैं...  आने दो जैसे भी हो  आएं मुश्किलें जब तक  शुक्र इस बात का मनाओ  कि अभी ये आ रही हैं...  होने दो सब कुछ  हो रहा है जब तक  क्योंकि ये गति जो थम गई एक बार तो  फिर कुछ नहीं, कुछ नहीं...  This poem is also available on my u-tube channel : Click here

ये अश्क ही तो हैं...

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ये अश्क ही तो हैं... ये अश्क ही तो हैं ये अश्क ही तो हैं जिसमें स्नान करके आत्मा पवित्र हो जाती है ये अश्क ही तो हैं जिसमें डुबकी लगाकर मानवता तृप्त हो जाती है ये अश्क ही तो हैं जिसमें भीगकर हर गलती धुल जाती है ये अश्क ही तो हैं एक मित्रता की धारा जो सदैव साथ निभाती है ये अश्क ही तो हैं जिनसे नयनों में प्रेम और ख़ुशी छलक आती है ये अश्क ही तो हैं एक साझी विशेषता जो संसार में समानता लाती हैं ये अश्क की ही तो हैं जिससे सुख-दुख और अपनेपन की कीमत समझ में आती है अश्क की एक बूंद में जो भीग पाए हम जिंदगी का मर्म जान पाए हम...

आशाओं का "खुला आसमाँ "

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आशाओं का "खुला आसमाँ " आशाओं का "खुला आसमाँ " बुलाता है मुझे वो घना बादल  बहती शीतल हवाओं का आँचल  बुलाती है पर्वतों की बर्फीली चोटियाँ  बुलाता है धूप में तपता मरुस्थल  आज तो उड़ने को कह दिया जमीं ने भी मुझसे...  "बेटी!  कब तक इसे सहूँ मैं  अब तो तू  ही कुछ कर  भर कर एक उड़ान  तब ही वापस उतर " मैने कहा...  "हे माँ!  मैने कब चाहा तुझ पर भार बनूँ मैं  तुझ पर होने वाला अत्याचार बनूँ मैं तेरे ही समाज की बंदिशों के इस  गुरुत्व बल ने मुझे जकड़ रखा है  फिर कैले उड़ानों का ध्यान करूँ मैं? " माँ ने कहा...  "मत कह बल इसे,एक अभिशाप है ये  मुझसे भी तो करवाता, पाप ही है ये  इस भूचाल में बहुत विवश हूँ मैं  मेरी बेटी के लिए शमशान है ये  बेटी!  अब तुझे ही कुछ करना होगा  तोड़नी होंगी बंदिशों की जंजीरें  इस उड़ान में दम भरना होगा " बस इतना ही कहा था माँ ने जब उनकी आँखों से  एक पवित्र जलधारा बह निकली... उस जलधारा में मैने अपना जीवन झोंक दिया  संपूर्ण इच्छा शक्ति झोंक दी  ड

यही तो सच है...

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यही तो सच है...  यही तो सच है  उमरें बीत जाती हैं  सच को तलाशने में  लेकिन ये शायद इतना  मुश्किल भी तो नहीं ... आज, अभी जो पल है  वही अभी तो सच है  अगला पल कुछ और है तब वह भी सच है...  आज मैं जो देखती हूँ आज मैं जो सोचती हूँ  सुनती और समझती हूँ  मेरे लिए वो सच है  मैं जो अनुभव करती हूँ  झूठ हो सकता है  मगर ये झूठ है  ये भी तो सच ही है आज मेरी जो कल्पना है  कल हो सकती सच है  मेरी आज की साधना  अभी यही तो सच है  तो बोलो सच क्या है?  मेरी जो समझ है  मेरे लिए वो सच है  तो इसे स्वीकारने में  कैसी झिझक है?  This poem is also available on my u-tube channel : Click here

हर हर महादेव!

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हर हर महादेव!  हर हर महादेव  जो तीन लोक के स्वामी हैं  ज्ञानी हैं, अंतर्यामी हैं  ये संसार जिनमें विलीन है  जो स्वयं ध्यान में लीन हैं मुकुट चाँद, जटा में गंगा  जिनमें शक्ति अनंत है रक्षा कर संसार की  कहलाए नीलकंठ हैं जिनका तीसरा नेत्र  कर सकता विध्वंस है  यह संपूर्ण जगत ही  शिव-शक्ति का अंश है  जिनके बिना जग अनाथ है  वो मेरे भोलेनाथ हैं महादेव एक योगी हैं  हम कृपा के भोगी हैं करते हम शत -शत नमन हैं  आपके चरणों में महादेव  हाथ जोड़कर बोलो सारे  हर हर महादेव!!! 

क्योंकि मैं एक बेटी हूँ

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क्योंकि मैं एक बेटी हूँ  क्योंकि मैं एक बेटी हूँ                                                                  click here for u-tube जितनी कोशिशें की गई  मुझे कमजोर बनाने की  मैं उतनी ही मजबूत होने लगी  उन कमजोरियों से ... जितनी कोशिशें की गई  मुझे हराने की  मैं उतनी ही जीतने लगी  उन बाधाओं से...  जितनी कोशिशें की गई  मुझे रुलाने की  मैं उतनी ही मुस्कुराने लगी  उन हालातों में ... जितनी कोशिशें की गई  मुझे दबाने की  मैं उतनी ही ऊपर उठने  लगी उन बातों से ... जितनी कोशिशें की गई  मुझे भुलाने की  मैं उतनी ही याद आने लगी  उन लोगों को  पूछना चाहोगे क्यों ? "क्योंकि मैं एक बेटी हूँ"  हर हालात में जीना सीख चुकी हूँ...  धन्यवाद  😊😊😊

इसे तुम प्रेम कहते हो?

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इसे तुम प्रेम कहते हो? इसे तुम प्रेम कहते हो?  प्रेम वो है... जो बंधनों से आजाद करता है  बाँधने की कोशिश को तुम  प्रेम कहते हो? प्रेम वीणा है...  जिसका स्वर दिल को चैन देता है  तुम "लव यू" के जो ढोल पीटते हो  उसे प्रेम कहते हो? प्रेम वो है...  जिसे भुलाया नहीं जा सकता  तुम जो माँ-बाप के संस्कार भुला देते हो  उसे प्रेम कहते हो?  प्रेम नि:स्वार्थ है...  जिसमें कोई शर्त नहीं होती तुम जो दूसरे को शर्तों पर नचाते हो  उसे प्रेम कहते हो?  प्रेम वो है...  जो जीवन भर का नाता है  चंद पलों के आनंद को तुम  प्रेम कहते हो?  प्रेम वो है...  जिसमें मन के तार जुड़े हों  तुम्हें जो बेडियों में जकड़े हुए है उसे तुम प्रेम कहते हो?  प्रेम वो है...  जो पाने और खोने से परे है  हासिल करने की लालसा को तुम  प्रेम कहते हो?  प्रेम वो है...  जो  सदैव पुण्य है  मन के पाप को तुम  प्रेम कहते हो ? प्रेम वो है...  जो किसी को तकलीफ़ नहीं दे सकता तुम जो किसी को रुला देते हो उसे प्रेम कहते हो?  प

बेटी की वेदना

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बेटी की वेदना  बेटी की वेदना  क्या कहूँ, किससे कहूँ  तुझे ही होगा झेलना  सिर्फ तेरी ही नहीं  ये हर बेटी की वेदना  मायके वालों ने कहा  करना तू कुछ भी वहाँ  वही होगा घर तेरा  होगी तेरी शादी जहाँ  ससुराल में भी किसी ने  माना तुझे अपना कहाँ  किया होता जो करना था  था तेरा जो घर वहाँ  अब सवाल ये है...  कौन सा है घर तेरा?  जिंदगी तेरी है कहाँ?  किससे है उम्मीद तुझे?  कौन तेरा है यहाँ?  खुद ही बनाना है  तुझे अपना ये जहान  खुद ही छूना है तुझे  सपनों का वो आसमान 

फिर से लौट आया

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फिर से लौट आया  फिर से लौट आया  छूट गया था जो पीछे  आज फिर से लौट आया  वो खोया हुआ अंदाज  आज फिर से लौट आया  जब झाँककर देखा  वर्तमान की खिड़की से  अतीत की ओर  वो सुनहरा जीवन  आज फिर से लौट आया  जो कल मुश्किल लगता था  आज बहुत प्यारा है  तो ये ख्याल आया  आज मुश्किल लगता है जो  उसे कल देखेंगे तो  वो भी प्यारा हो जाएगा  हर प्यारा लम्हा जिंदगी में यूँही  समाता चला जाएगा ... This poem is also available on my u-tube channel : Click here

रो लेती हूँ मैं कभी -कभी

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रो लेती हूँ मैं कभी -कभी  रो लेती हूँ मैं कभी -कभी  रो लेती हूँ मैं कभी -कभी  इसलिए नहीं कि मैं कमजोर हूँ  बल्कि इसलिए क्योंकि मैं...  कमजोरी को साथ नहीं रखना चाहती  बहा देना चाहती हूँ  रो लेती हूँ मैं कभी -कभी  इसलिए नहीं कि मैं हार चुकी हूँ  बल्कि इसलिए क्योंकि मैं...  उन भावों को साथ नहीं रखना चाहती  जो मुझे हरा सकते हैं  रो लेती हूँ मैं कभी -कभी  इसलिए नहीं कि मुझे खुद पर भरोसा नहीं  बल्कि इसलिए क्योंकि मैं ... उन सवालों को साथ नहीं रखना चाहती  जो मेरे भरोसे को तोड़ सकते हैं  रो लेती हूँ मैं कभी -कभी  इसलिए नहीं कि जीवन में कुछ अच्छा नहीं  बल्कि इसलिए क्योंकि मैं...  हर बुरे अनुभव को आँसुओं में बहा देना चाहती हूँ  ताकि सब अच्छा ही साथ रहे ... This poem is also available on my u-tube channel : Click here