ये अश्क ही तो हैं...
ये अश्क ही तो हैं...
ये अश्क ही तो हैं ये अश्क ही तो हैं जिसमें स्नान करके आत्मा पवित्र हो जाती है |
ये अश्क ही तो हैं
जिसमें डुबकी लगाकर
मानवता तृप्त हो जाती है
ये अश्क ही तो हैं
जिसमें भीगकर
हर गलती धुल जाती है
ये अश्क ही तो हैं
एक मित्रता की धारा
जो सदैव साथ निभाती है
ये अश्क ही तो हैं
जिनसे नयनों में प्रेम
और ख़ुशी छलक आती है
ये अश्क ही तो हैं
एक साझी विशेषता
जो संसार में समानता लाती हैं
ये अश्क की ही तो हैं
जिससे सुख-दुख और अपनेपन की
कीमत समझ में आती है
अश्क की एक बूंद में
जो भीग पाए हम
जिंदगी का मर्म जान पाए हम...
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