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Showing posts from May, 2019

माँ

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माँ  माँ  तुमसे ही तो हो पाती  जीवन की शुरुआत है माँ  कितना प्यार हमसे करती तू  यह हमें भी ज्ञात है माँ  कठिन तपस्या की होगी   जब तुझको पाया है माँ  तेरी ही ममता का हर पल  हम पर रहता साया माँ  ऊपर से जब हमें डाँटती  मन ही मन तू रोती माँ  मीठे सपने हमें दिखाकर  तभी रात को सोती माँ  भगवान कहाँ रहता है  ये हमने कब जाना माँ  हर पल तेरे ही संग रहकर  तुझको ही सब माना माँ  मीठी -मीठी रस मलाई  तू है सबसे न्यारी माँ  इस जग में लगती हमको  तू ही सबसे प्यारी माँ  रहता है याद हम सबको  तेरे संग बीता हर पल  यूं ही बना रहे हम पर  तेरी ममता का आँचल  तेरे दुख में दुख हैं मेरे  तेरे सुख में मेरी खुशियाँ  बसती है तुझमें ही माँ  तेरे बच्चों की दुनिया  For u tube : Click here

काम चल गया

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काम चल गया  आप सभी ने तीन जादुई शब्दों के बारे में तो सुना ही होगा |तो चलिए, आज तीन सबसे ख़तरनाक शब्दों की चर्चा करते हैं |इन शब्दों ने हमारे देश के लगभग सभी लोगों को चपेट में ले लिया है, वे तीन शब्द हैं~" काम चल गया  "|जी हाँ, दोस्तों! इतिहास गवाह है कि जिसका भी काम चल गया, उसने काम करना ही छोड़ दिया |व्यक्ति का विकास उसी पल रुक जाता है जिस पल उसका काम चल जाता है | काम चल गया  किसी भी क्षेत्र में काम चलना एक विनाशकारी अवस्था है जहाँ आप खुद को उस मुकाम पर पाते हैं जहाँ यदि आपने खुद को संभाला नहीं तो भविष्य में आपका काम नहीं चल पाएगा |तो इसी पल से सावधान हो जाइये, इससे पहले कि आपका काम चलना बंद हो जाए | यदि आपका काम नहीं चल रहा तो आप बधाई के पात्र हैं क्योंकि आप अपना काम चलाने के लिए आगे बढेंगे |मगर काम चल रहा है तो यह तूफान से पहले का सन्नाटा है |इसमें सावधान रहना बहुत जरूरी है |खुश होने की बजाय और मेहनत करने का प्रयास करें|मैंने इतना ही लिखा क्योंकि मेरा काम चल गया और आप शायद इतना भी नहीं पढेंगे क्योंकि आपका भी काम चल जाएगा |

निंदा रस

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निंदा रस  "जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि "ये कहावत तो आप सबने सुनी ही होगी| ढूँढने वाला हर चीज में आनंद ढूँढ ही लेता है |यह रस भी कमबख़्त हर चीज़ में भरा है, बस लेने वाला होना चाहिए |चलिए आज बात कर लेते हैं, एक जाने -माने रस की ~" निंदा रस  "|इसके तो प्रशंसकों से दुनिया भरी हुई है |जहाँ भी लोग बात करते दिखते हैं, अक्सर निंदा रस का स्वाद ले रहे होते हैं | निंदा रस  आखिर इतने स्वादिष्ट रस को छोड़ भी तो नहीं सकते |जब कोई तीसरा व्यक्ति दो लोगों को निंदा रस लेते हुए देखता है तो उसकी भी लार टपकने लगती है, जीभ मचलने लगती है तथा वह भी लपक कर उनके रस को साझा करने पहुँच जाता है |इसी प्रकार लोग झुँड बना कर निंदा का रसपान करते हैं |ऐसा हो भी क्यों न? हमने बचपन से ही सीखा है ~मिल-जुल कर काम करना |सहयोग ही तो सामाजिक संबंधों का आधार है | अब समस्या यह है कि कुछ लोगों को निंदा का रसपान करना आता ही नहीं |बेचारे! अब वे उस झुँड की निंदा का शिकार हो जाते हैं ~ "कितने मूर्ख लोग हैं! निंदा रस से तो बदहज़मी भी नहीं होती, जितना चाहे ग्रहण करो |पर ये फिर भी उपवास की जिद पर अड़

आठवां अजूबा ः भारतीय भूत

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सात अजूबे इस दुनिया में, आठवां.... कितनी जल्दी दौड़ता है ना दिमाग! लेकिन रोको इसे.... गाना नहीं है ये... आठवां अजूबा है ~"भारतीय भूत"| हमारे पुराणों में लिखा है कि आत्मा अजर, अमर, निर्गुण तथा निराकार है |उसे कुछ कार्य करने के लिए शरीर रूपी माध्यम की आवश्यकता होती है | आठवां अजूबा... भारतीय भूत  मगर हिम्मत तो देखो इन भूतों की! निकली हुई आत्माएं हैं जिन्हें शरीर से बेदखल कर दिया गया है.. मगर फिर भी मानने को तैयार ही नहीं, देशवासियों पर ज़ुल्म ढहा रही हैं |ये भूत कभी तो बच्चों के दिमाग में भाँगडा करते हैं, कभी बडों के सिर चढ़कर तांडव करते हैं | बाबाओं, तांत्रिक आदि की पूरी फौज इनकी तलाश में है पर मजाल कि ये कमबख़्त किसी के हाथ आ जाएं! कसम से! "Don" फिल्म के डायलॉग की याद आ जाती है | फिर मुझे याद आया कि आत्मा ही तो परमात्मा है |तर्कानुसार भूत ही भगवान है |कुछ दृश्य भी याद आए जिनमें नाना प्रकार के देवी-देवता मनुष्यों में प्रकट हो जाते हैं |आखिर 33 करोड़ देवता और सवा सौ करोड़ देशवासी... बहुत नाइंसाफी है! कभी -कभी हालचाल पूछने आना ही पड़ता है | मु