आठवां अजूबा ः भारतीय भूत
सात अजूबे इस दुनिया में, आठवां.... कितनी जल्दी दौड़ता है ना दिमाग! लेकिन रोको इसे.... गाना नहीं है ये... आठवां अजूबा है ~"भारतीय भूत"| हमारे पुराणों में लिखा है कि आत्मा अजर, अमर, निर्गुण तथा निराकार है |उसे कुछ कार्य करने के लिए शरीर रूपी माध्यम की आवश्यकता होती है |
आठवां अजूबा... भारतीय भूत |
मगर हिम्मत तो देखो इन भूतों की! निकली हुई आत्माएं हैं जिन्हें शरीर से बेदखल कर दिया गया है.. मगर फिर भी मानने को तैयार ही नहीं, देशवासियों पर ज़ुल्म ढहा रही हैं |ये भूत कभी तो बच्चों के दिमाग में भाँगडा करते हैं, कभी बडों के सिर चढ़कर तांडव करते हैं |
बाबाओं, तांत्रिक आदि की पूरी फौज इनकी तलाश में है पर मजाल कि ये कमबख़्त किसी के हाथ आ जाएं! कसम से! "Don" फिल्म के डायलॉग की याद आ जाती है |
फिर मुझे याद आया कि आत्मा ही तो परमात्मा है |तर्कानुसार भूत ही भगवान है |कुछ दृश्य भी याद आए जिनमें नाना प्रकार के देवी-देवता मनुष्यों में प्रकट हो जाते हैं |आखिर 33 करोड़ देवता और सवा सौ करोड़ देशवासी... बहुत नाइंसाफी है! कभी -कभी हालचाल पूछने आना ही पड़ता है |
मुझे सहानुभूति है उन मुनियों से जिन्होंने ईश्वर प्राप्ति के लिए सालों तपस्या की है |यहाँ तो कलयुग में भी, जीते-जागते इंसानों में भगवान प्रकट हो जाते हैं |सचमुच! भूत और भगवान, दोनों की ही माया अपरंपार है |समझ आए तो मुझे भी समझा देना... नहीं तो समय रहते हुए उन भूतों और भगवानों को लेकर मनोवैज्ञानिक के पास चले जाना |
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