मेरे ताऊ जी ~2

आखिर हम एक घण्टे के बाद गाँव पहुँचे |घर के सामने बहुत भीड़ थी|जैसे ही अंदर पहुँचे तो रोने की तेज -तेज आवाजें सुनाई दी|बहुत ही करुण दृश्य था वह! इससे पहले मैने ऐसा कभी नहीं देखा था |किसी को भी होश नहीं था |सब गम में इस कदर डूबे हुए थे |वहाँ तक मैने किसी तरह खुद को रोक रखा था मगर वहाँ जाकर नहीं रोक पाई और मैं भी उस गमगीन दुनिया का एक हिस्सा बन गई |
मेरे ताऊ जी ~2
मेरे ताऊ जी ~2


किसी अपने को खोने का दर्द क्या होता है, किसी इंसान का मोल क्या होता है, लगाव क्या होता है ;ऐसे बहुत से सवालों के जवाब दे रहा था वो दृश्य |सबकी आँखों में आँसू थे मगर फिर भी सब एक-दूसरे को समझाने और चुप कराने का प्रयास कर रहे थे |समझाते भी क्या? सब जानते थे कि वे लाचार हैं ,अब कुछ नहीं हो सकता, यही शाश्वत सत्य है मगर क्या यह जान लेने से वो पीड़ा कम हो सकती थी? बिल्कुल नहीं |

माँ (ताई जी) का रो-रोकर बुरा हाल था|माँ बेहद कोमल हृदय हैं |उनसे किसी और का दुःख भी नहीं देखा जाता था, जब भी ऐसे माहौल में जाती थी तो बेहोश हो जाया करती थी |यहाँ उनकी क्या दशा होनी थी, यह अनुमान लगाना किसी के लिए मुश्किल नहीं था |माँ एक भारतीय पतिव्रता नारी का सर्वोत्तम उदाहरण हैं |ताऊ जी भी कहते थे "लक्ष्मी है तुम्हारी माँ "...मैने  ताऊ जी और माँ को कभी लड़ते हुए नहीं देखा |ताऊ जी मजाक बहुत किया करते थे मगर माँ सुनकर एक शांत भाव से मुस्कुरा देती थी और हम लोग या तो माँ की तरफ से बोलते थे या यूं ही हंसते रहते थे |हँसाने का गज़ब हुनर था ताऊ जी में;सब लोट-पोट हो जाया करते थे |

सीमा और कविता, मेरी दोनों बहने माँ को शांत करने की कोशिश कर रही थी और माँ उन्हें |मम्मी भी उन तीनों को समझाने में लगी थी और खुद भी रो रही थी, मैं भी वहीं थी मगर मैं कुछ बोल नहीं पाई |मेरे भाई सोनू बड़े भाई होने के नाते मजबूती से उन्हें चुप कराने की कोशिश कर रहे थे मगर यह मजबूती भी उस दर्द पर पर्दा डालने के लिए थी| वो जानते थे कि अब उन्हें ही परिवार को संभालना है |जब पापा ने सबको रोते हुए देखा तो मुझसे कहा कि रोना नहीं है ;यह बात अलग थी कि वो खुद रो रहे थे |जब पापा बहुत छोटे थे तभी दादा-दादी जी चले गए थे, ताऊ जी और माँ ने ही वह भूमिका निभाई |मैं समझ सकती थी कि उन पर क्या बीत रही होगी |हर काम ताऊ जी के दिशा -निर्देशों के अनुसार होता था |

कुछ दिन पहले ताऊ जी आए तो उन्होंने पापा से कहा था, "कहना तो नहीं चाहता था मगर कहना पड़ रहा है... मेरे पास बहुत कम समय बचा है, सोनू को संभाल लेना "पापा ने ताऊ जी को हिम्मत से काम लेने को कहा मगर कौन जानता था कि उनकी ये बात इतनी जल्दी सच हो जाएगी! थोड़ी देर बाद अंतिम दर्शन के लिए पापा ने मुझे बुलाया |मैने ध्यान से देखा,ताऊ जी के चेहरे पर शांत भाव था, आँखें अधखुली थी मानो खुलने वाली हों |ऐसा लगता था कि अभी ताऊ जी उठ जाएंगे और मेरे सिर पर हाथ रख कर, मुस्कुरा कर मुझे आशीर्वाद देंगे, हमेशा की तरह मगर इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ |माँ और मेरी दोनों बहनों को खींच कर वहाँ से ले जाना पड़ा क्योंकि अंधेरा होने से पहले ताऊ जी का अंतिम संस्कार करना था|

आखिरकार ताऊ जी को भी उसी घर ले जाया गया जो हम सब का घर है ;साझा घर |...
जारी रहेगा.... 

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मेरे ताऊ जी ~1

ऐसे थे मेरे ताऊ जी
                                                     

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