मत दिखाओ दुनिया को टूट चुके हो तुम...
मत दिखाओ दुनिया को
कि टूट चुके हो तुम
खुद से इस कदर
रूठ चुके हो तुम...
क्या लगता है तुम्हें?
दुनिया जोड़ सकती है?
नहीं!
तुम्हारे समेटे हुए टुकडों को
फिर से तोड़ सकती है
मत दिखाओ दुनिया को
कि हार चुके हो तुम
निराशा का आँचल
स्वीकार चुके हो तुम ...
क्या लगता है तुम्हें?
यह जीत दिला सकती है?
नहीं!
तुम्हारे हारे दिल को
जहर पिला सकती है
मत दिखाओ दुनिया को
कि रो रहे हो तुम
हर पल उम्मीद को
खो रहे हो तुम
क्या लगता है तुम्हें?
दुनिया दर्द बाँट लेगी?
नहीं!
तुम्हारे दर्द से भी अपना
मतलब छाँट लेगी
अब सवाल है ~
कि क्या करोगे? किससे कहोगे तुम?
इस दर्द को कब तक सहोगे तुम?
जवाब है ~
एक पल जरा ठहर कर
अपनी ओर ही देखो तुम
कुछ नहीं खोया तुमने
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