मेरे ताऊ जी ~1
17 मार्च, 2019
मेरे ताऊ जी :श्री जगदीश चन्द्र नरवाल |
दोपहर का समय था, मैं सीढियों में बैठकर पढ़ रही थी |सभी मेरे आस-पास ही थे |थोड़ी देर पहले ही पता चला था कि मेरे ताऊ जी, जगदीश चन्द्र नरवाल को खराब स्वास्थ्य के कारण अस्पताल में दाखिल कराया गया है |सब आश्चर्य में थे कि अचानक क्या हुआ |दरअसल ताऊ जी को पिछले साल से कैंसर था |इलाज भी लगभग हो चुका था,सेहत में सुधार भी था, मगर बहुत जल्दी तबीयत दोबारा खराब होने लगी |पापा थोड़ी देर बाद अस्पताल जाने वाले थे |तय हुआ कि रात को ताऊ जी की देखभाल के लिए रीना जाएगी, शायद इससे उनकी सेहत में जल्दी सुधार होगा |
इसका कारण यह था कि मैं ताऊ जी की बहुत लाडली थी |मुझे याद है ;लगभग 9 साल पहले की बात है |ताऊ जी को रात को दिल का दौरा पड़ा था |उन्हें लगा कि यह उनका अंतिम समय था |उन्हें अस्पताल ले जाने लगे तो उससे पहले उन्होंने कहा कि वो रीना से मिलना चाहते हैं |मैं उनके पास गई तो उनके सीने में बहुत तेज दर्द था|मुझे देखकर वे तेज -तेज रोने लगे और मुझे समझाया कि मैं मम्मी-पापा का ध्यान रखूँ और खूब मन लगाकर पढाई करूँ|मेरी आँखों में भी आँसू आ गए और मैने कहा कि आप जल्दी ही ठीक हो जाओगे |अगले ही दिन ताऊ जी ठीक होकर वापस आ गए |सबकी जान में जान आई और हमने मजाक भी किया कि ताऊ जी डर गए थे |
उम्मीद तो इस बार भी कुछ ऐसी ही थी मगर परिणाम कुछ और निकला |इस बार रीना के जाने से पहले ताऊ जी जा चुके थे |जैसे ही यह खबर सुनी विश्वास ही नहीं हुआ मगर सबकी आँखों से अश्रुधारा बह निकली और हम गाँव जाने के लिए निकल पड़े |रास्ते में भी आँसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे|बहुत सारे विचार और भाव एक साथ चल रहे थे |ताऊ जी को आभास हो चुका था कि अब उनके पास बहुत कम समय है मगर हमें लगता था कि वे मजाक कर रहे थे क्योंकि उनका स्वभाव ही ऐसा था, वे अक्सर ऐसे मजाक कर लिया करते थे |काश! हमने उनकी इस बात को मजाक न समझा होता और उनके साथ अधिक समय बिता पाते |जैसे -जैसे गाँव की ओर बढ़ रहे थे, बेचैनी और दुःख गहराते जा रहे थे कि पता नहीं बाकि परिवार का क्या हाल होगा...
जारी रहेगा...
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मेरे ताऊ जी ~2
ऐसे थे मेरे ताऊ जी
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