मैं एक बेटी का बाप हूँ
मैं एक बेटी का बाप हूँ
मैं एक बेटी का बाप हूँ |
मैं एक बेटी का बाप हूँ...
हर पल डर के साये में जीता हूँ
क्योंकि मुझे मेरी बेटी बहुत प्यारी है
जिसकी दुश्मन ये दुनिया सारी है
अरमान मेरे भी हैं
कि अपनी बेटी के अरमान पूरे करूं
मगर जब वो घर से जाती है
तो मेरी रूह काँप जाती है
अगर उसे लौटने में देर हो जाए
तो बेचैनी से उसकी राह देखता हूँ
कभी-कभी बिना गलती भी
उसे डाँट दिया करता हूँ
नहीं चाहता कि वो पीछे रहे
मैं भी उसकी तरक्की चाहता हूँ
साहस कम नहीं मुझमें भी मगर
खुद को उसके मोह में बंधा हुआ पाता हूँ
मैं उसे पढाना चाहता हूँ
अप्सरा को अफ़सर बनाना चाहता हूँ
मगर डर जाता हूँ जब कॉलेज के सामने
आवारा लोगों के झुंड खड़े पाता हूँ
उसकी शादी अच्छे घर में करना चाहता हूँ
मगर फिर से डर जाता हूँ
जब हर रोज अखबारों में
प्रताड़ित होती बेटियों की खबर पाता हूँ
नहीं चाहता कि उस पर पाबंदियाँ लगाना
चाहता हूँ वो अपनी जिंदगी खुलकर जिए
मगर जब वो बाहर होती है
उसे घूरती खूंखार आँखों से घबराता हूँ
बहुत-सी बातों के लिए अपनी लाडली को
खुद से ही नाराज़ पाता हूँ
मगर माफ करना मेरी बच्ची!
Comments