इसे तुम प्रेम कहते हो?
इसे तुम प्रेम कहते हो? इसे तुम प्रेम कहते हो? प्रेम वो है... जो बंधनों से आजाद करता है बाँधने की कोशिश को तुम प्रेम कहते हो? प्रेम वीणा है... जिसका स्वर दिल को चैन देता है तुम "लव यू" के जो ढोल पीटते हो उसे प्रेम कहते हो? प्रेम वो है... जिसे भुलाया नहीं जा सकता तुम जो माँ-बाप के संस्कार भुला देते हो उसे प्रेम कहते हो? प्रेम नि:स्वार्थ है... जिसमें कोई शर्त नहीं होती तुम जो दूसरे को शर्तों पर नचाते हो उसे प्रेम कहते हो? प्रेम वो है... जो जीवन भर का नाता है चंद पलों के आनंद को तुम प्रेम कहते हो? प्रेम वो है... जिसमें मन के तार जुड़े हों तुम्हें जो बेडियों में जकड़े हुए है उसे तुम प्रेम कहते हो? प्रेम वो है... जो पाने और खोने से परे है हासिल करने की लालसा को तुम प्रेम कहते हो? प्रेम वो है... जो सदैव पुण्य है मन के पाप को तुम प्रेम कहते हो ? प्रेम वो है... जो किसी को तकलीफ़ नहीं दे सकता तुम जो किसी को रुला देते हो उसे प्रेम कहते हो? प
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