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Showing posts from September, 2019

तुम जरूर उठोगे

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तुम जरूर उठोगे तुम जरूर उठोगे मैं जानती हूँ तुम उठोगे तुम जरूर उठोगे... तड़प रहे हो उठने के लिए ताकत झोंक दी है तुमने अब तुम जरूर उठोगे तुम सोच रहे होगे कि मैं ये दावा कैसे कर सकती हूँ  हाँ! मेरा दावा है कि तुम जरूर उठोगे कयोंकि मैंने तुम्हें गिरते हुए देखा है... My another Blogs: 1. Hopes in life 2. Worldwide Haryanvi

आँखें

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आँखे आँखें न जाने क्या देखती हैं ये आँखें हर पल कुछ देखती ही रहती हैं कभी डर, उत्सुकता,कभी हैरानी में तैरते हुए किसी अद्भुत पानी में वही चमकीली आँखें उजाला फैलाती हैं वही प्यार भरी आँखें जो सहलाती हैं वही बेचैन आँँखें जो ढूँढती हैं किसी को कभी किसी को नजरअंदाज करती हैं वही मुस्कुराती आँखें जो बाँटती हैं खुशी को मगर किसी को कभी नाराज करती हैं वही सूनी आँखें जो रिश्ते से आजाद करती हैं किसी पर अपनेपन की बरसात करती हैं वही तड़पती आँखें जो किसी को याद करती हैं किसी के आने की फरियाद करती हैं मगर चुप नहीं रहती हमेशा बात करती हैं अपने ही शब्दों में हालात बयान करती हैं... My another Blogs: 1. Hopes in Life 2. Worldwide Haryanvi

मुखौटेबाज

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मुखौटेबाज मुखौटेबाज दुनिया में बहुत से मुखौटेबाज होते हैं होते हैं कुछ,कुछ और कहते हैं हम सबके अपने-अपने मुखौटे होते हैं किसी के बड़े तो किसी के छोटे होते हैं कुछ लोग इस तरह जिया करते हैं मुस्काते मुखौटे के पीछे दर्द पिया करते हैं कुछ लोग धोखा दिया करते हैं लोगों के भरोसे का कत्ल किया करते हैं कुछ लोगों का मुखौटा सख्त होता है पर पिघल जाता है जब बुरा वक्त होता है कुछ लोगों का मुखौटा उनकी पहचान है कुछ लोग अपने ही मुखौटे से परेशान हैं अक्सर लोग मुखौटे पहन कर  मुखौटे हटाने की सलाह देते हैं इन मुखौटों पर मत जाना जनाब ये अक्सर दगाह देते हैं... My another Blogs: 1. Hopes in Life 2. Worldwide Haryanvi

इस उम्मीद में

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इस उम्मीद में... इस उम्मीद में... हर रात हम सो जाते हैं इस उम्मीद में... कि कल फिर से उठ जाएंगे हर वक्त में जी लेते हैं इस उम्मीद में... कि पल हैं,गुजर जाएंगे असफल होकर भी प्रयास करते हैं इस उम्मीद में... कि इस बार सफल हो जाएंगे हर उम्मीद पूरी तो नहीं होती मगर फिर भी... उम्मीद से भी उम्मीद लगाते हैं इस उम्मीद में... कि फिर से उम्मीद जगाएंगे My another Blogs: 1. Hopes in Life 2. Worldwide Haryanvi

रात के राजा

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रात के राजा रात के राजा रात के राजा का,करते हैं बखान सिंहासन पर चढ बैठा, प्राणी ये महान फलते और  फूलते ही,जा रहे हैं आज इंसानों की दुनिया में,छाया इनका राज अच्छी गहरी नींद में,ये दें थपथपा रात-दिन इनका ही,रहता दबदबा पहले तो बादल से,झूमकर ये आएं दिखते नहीं आँखों में,धूल झौंक जाएं और दोबारा पूरी,तैयारी संग आएं जो भी इनको मिले,वही अंग खा जाएं कानों के पास आकर,मीठी धुन बजाएं ऐसे ही मीठे रक्त को ये पचाएं भले शांत इंसान को,ये नाच नचाएं जाते-जाते दर्द और खुजली मचा जाएं बिजली के जाते ही,सबका दिल दहलाएं काट-काट कर माँस को,मॉसकीटो कहलाएं इनको तो काटने में,आती नहीं लाज करना ही होगा हमें,कुछ तो इलाज कहीं न होने दो,पानी की बंदगी दूर करो अपने,इलाके की गंदगी ऐसा करने में,बिल्कुल न करना देर तुरंत ही हटाओ,कूड़े के सब ढेर चाहते हो स्वास्थ्य,तो बात ये मानना डेंगू और मलेरिया,झेलना होगा वरना This poem is also available on my utube channel: Click here My another blogs: Hopes in Life       Worldwide Haryanvi